Wednesday, June 8, 2016

Udta Punjab/ Attempt to murder a film by Censor Board/ Anurag Kashyap

Same on you Censor Board...................Judge yourself then judge a film .

इंसानी जज्बातों की जरुरत अगर प्रेम है या सेक्स है या फिर प्रेम, सेक्स मानवीय जीवन में है तो साहित्य या काव्य या फिर फिल्म का ये हिस्सा होगा ही! इसमे बुराई ही क्या है! कुछ भी क्रिएटिव वर्क चाहे वो किसी भी रूप जैसे साहित्य, काव्य , सिनेमा, आर्ट के रूप में है तो उस पर बात हो, क्युकी सूचनाओ से मानव मस्तिस्क का विकास होता है ! जब कोई बच्चा जन्म लेता है तो चुकी उसके मस्तिस्क में कुछ नही होता, धीरे धीरे कानो के रास्ते विभिन्न तरह की आवाज, आंखो के रास्ते तरह तरह के रंग, इमेज आदि ब्रेन में स्टोर होती है, स्पर्श के माध्यम से बहुत से सेंसेशन वो महसूस करता है एंड ब्रेन में ये सब सूचनाये स्टोर होती जाती है! फिर धीरे धीरे शब्दों और भाषाओ की समझ और धीरे धीरे वो बच्चा विकसित होता है! ULTIMATELY ये मानव के अपने खुद के वजूद का विकास सूचनाओ से सम्बंधित है ! विज्ञान तो यही कहता है !


कोई भी विषय या मुद्दा जो किसी भी समाज में मोजूद है, चाहे वो प्रेम हो, रोमान्स हो, हत्याये हो, राजनीती, दंगा, तस्करी, शोषण, या नशा या कुछ भी हो! अगर वो हमारे समाज का हिस्सा है तो उस पर बोलना, लिखना, काव्य कहना या सिनेमा में उसको उतरना कलात्मकता होती है! कवियों की सिर्जनशीलता, लेखको की रिसर्च और मेहनत, फिल्म निर्देशक की क्रिएटिविटी और बहुत बड़ी पूंजी का इस्तेमाल होता है ! जयादातर मामलो में पूरी दुनिया में ही जो भी लोग क्रिएटिविटी से जुडे है वो सभी अपने अपने ढंग और लेवल से समाज को बेहतर बनाने की परिकल्पना से औत प्रोत होते है! पिछले कुछ समय से ये क्रिएटिव लोग राजनीतिक पागलपन का शिकार हो रहे है! 


कुछ समय पहले कई अंतर्राष्ट्रीय पुरुस्कार जीत चुकी फिल्म काफिरों की नमाज को भारत में सेंसर बोर्ड ने सर्टिफिकेट ही नही दिया जबकि उस फिल्म में ऐसा कुछ भी नही था समाज के लिए घातक हो ! फिल्म के निर्माताओ ने सेंसर के पागल पन से तंग आकर फिल्म को यू tube ही रीलीज़ कर दिया, लाखो लोग फिल्म ऑनलाइन देख चुके है और फिल्म को हर दर्शक वर्ग ने सराहा भी है ! जल्द रीलीज़ होने वाली फिल्म “शोरगुल”  को जहाँ सेंसर ने तो पास कर दिया है व्ही उत्तर प्रदेश में कुछ सियासी दल इसके प्रदर्शन का पुरजोर विरोध कर रहे है क्युकी ये फिल्म मुजफ्फनगर दंगो की प्रस्टभूमि पर आधारित है!

“उड़ता पंजाब” फ़िल्म को लेकर तो सेंसर बोर्ड के चीफ ने जहाँ अनुराग कश्यप की फिल्म में 89 कट्स लगाने को कहा है व्ही एक अजीब बयान और दे दिया है की इस फिल्म के निर्माण के लिए निर्माताओ ने “आप” पार्टी से पैसे खाए है ? ये महान आदमी है पहलाज निहलानी! मुझे ये समझ नही आता ये कोन लोग है जो अपनी जिन्दगी में एक फिल्म नही बना सकते मगर फिल्म पर कैंची चलाने के अधिकार पा लेते है ! सायद उनके लिए फ़िल्म क्रिएटिव कम राजनीतिक धमाका जयादा नजर आती है !
भारत के फिल्म मेकर अपना तन, मन, धन लगाकर फिल्म बनाते है, अपने देश की समस्याओ पर बात करने वाले फिल्म मेकर्स की भी कमी नही है, सैकड़ो –हजारो को रोजगार मिलता है फिल्मो से! सूचनाओ का प्रसार होता है आम लोगो तक और मनोरंजन जिसकी भारतीयों को सबसे जयादा जरुरत है क्यकी तेजी से पनपता प्रतियोगी समाज में मानसिक विकारो की आंधी आई हुई है ! 



श्याम बेनेगल, अमिताभ बच्चन, आमिर खान, महेश भट तथा और भी बहुत से फ़िल्म उद्योग के तमाम जानकर मानते है फिल्म उड़ता पंजाब में कोई ऐसी चीज नही दिखाई गई जिसका समाज पर बुरा असर पड़ता है! मगर सिर्फ सेंसर को ये लगता है! अंदाजा लगाइए आप दोस्तों सेंसर बोर्ड में बैठे ये राजनीतिक लोग फिल्म का abcd तक नही जानते और इनको सरकार ने अधिकार दे रखे है फिल्म के सबसे बडे ज्ञानी वाले !!!!!
89 कट्स का मतलब है फिल्म का लगभग 8-10 मिनट का फुटेज हटा देना, ये तो डायरेक्टर ही जानते है की वो हिस्सा फिल्म के लिए कितना महत्वपूर्ण है ! जानकारी के लिए बता दे की 10 घंटे लगातर काम करके 100 लोगो की मेहनत और लाखो का खर्च के बाद किसी फिल्म का 1-2 मिनट ओके fotage शूट होता है, कई मामलो में तो ये भी नही हो पाता यदि मोसम या तकनिकी कारण आ जाये ! महीनो और कभी कभी तो सालो की मेहनत और करोडो की पूंजी लगाकर एक फिल्म का निर्माण होता है! और अगर फिर इस तरह का कैंची फिल्म पर चलती है तो आप सोच ले क्या गुजरती होगी उस फिल्म से जुडे कलाकार और बाकि सभी लोगो पर, जब फिल्म में राजनीती घुस जाये ! 
खैर जैसा की न्यू फिल्म मेकर्स के बीच और दर्शको के बीच अनुराग कश्यप को जमीनी सिनेमा के तौर पर माना जाता है उन्होने कोर्ट में सेंसर बोर्ड के खिलाफ जंग सुरु कर दी है, सिनेमा और क्रिएटिविटी के बेहतर भविष्वय के लिए उनकी जीत जरूरी है !
Same on you censor board/ This is the murder of a film/ who the hell you are to judge the creativity of a person. 
finally best wishes to ''Udta punjab'' UNIT and Anurag Kashyap.

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