“ये क्या वीसी साहिब, आज लहंगे में हाथ नही लगाईयेगा”
“पैसा भी लेंगे और
देंगे भी नही”
“मुहं में आग है बाबु,
चोली में अंगारे है”
“नाचते गाते है तो कही
भी बजा दीजियेगा” इसी तरह के संवाद जब स्वरा भास्कर की ठेठ जुबान से बिखरते है तो
सीधे दर्शको के दिल, दिमाग और भी कई हिस्सों पर असर डालते है.. 1 घंटा
53 मिनट की
फिल्म अंत तक आपको बांधती है अच्छी स्टोरी एंड लाइट but टाइट स्क्रिप्ट वाली फिल्म
बहुत लाइट मसाला है|
अनारकली आरा (बिहार ) से
है और स्टेज डांस आर्टिस्ट है जिसकी मां भी गाया
करती थी. जब अनार कली छोटी थी तभी उसके सामने एक दुर्घटना के दौरान अनारकली की
मां की डेथ हो जाती है| रंगीला म्यूजिक ग्रुप जिसके ओनर है पंकज
त्रिपाठी जो रंगीला का किरदार निभा रहे है| पुरे आरा में अनारकली के दीवाने है और
बहुत ही बेशर्म टाइप की fantacy रखते है, माहोल कुछ ऐसा है जैसा की हरियाणवी नर्तकी
सपना के स्टेज शो में होता है, मुख्य बात ये है की इस फिल्म गाने दुईअर्थी जरुर है
मगर संगीत और गानों का देशीपन दिल्ली की बैचलर लाइफ जैसा सा लगता है, इलीट क्लब और
नैतिक लोगो के पीछे की ठरक, हमारे पुरुष समाज की नाचने गाने वाले लोगो के लिय सोच
पुलिस और वीसी के किरदार में संजय मिश्रा (धर्मेंद्र चौहान) जी ने अपने ही अंदाज में बयां किया है| यु तो संजय मिश्रा
ही विलेन है मगर यह विलेन, विलेन सा लगता ही नही है| कलाकारी के तौर पर सभी किरदार
फिट है और इसी कारण फिल्म वही बन पाई जो डायरेक्टर ने सोचा | स्वरा की फ्री फाल
एक्टिंग स्टाइल पहले भी राँझना फिल्म में देखी जा चुकी है | संजय मिश्रा ने फिल्म
के साथ ‘आँखों देखी’ फिल्म की तरह ही पूरा न्याय किया है| इंटरवल तक फिल्म सिर्फ
भरपूर एंटरटेनमेंट करती है और अचानक इंटरवल हो जाता है, उसके बाद फिल्म में
संजीदगी और emotions पैदा होता है जो दर्शको को बहुत आसानी से कनेक्ट करता है..
कुछ
दिन पहले आई फिल्म पिंक में जिस तरह फेमिनिस्म उभर कर आया के “no means no” उसी तरह यहा नाचने
गाने वाली फीमेल का वजूद, सेल्फ रेस्पेक्ट, और रिवेंज तक बात आगे बढ़ी है|
अनार कली का किरदार लगभग चेतन भगत के लेटेस्ट नावेल वन इंडियन गर्ल के मुख्य किरदार से मिलता जुलता है | “हम कोई दूध के धुले नही है” जब ये बात अनारकली बोलती है तो इसके बहुत मायने बनते है जो फिल्म देखने से समझ में आता है की सम्बन्ध बनाने में ये इरोटिक सिंगर पीछे नही है लेकिन किसी के बाप का मॉल भी नही है, अनारकली जबरजस्ती के छेड़ खानी के खिलाफ है और सिस्टम से सीना तान के लड़ने की हिम्मत रखती है| जब देह व्यापार के मामले में अनारकली को फंसाया जाता है और गली मोहल्ले में बाते बनने लगती है, दबंग लोगो से जान का खतरा देखते हुए दिल्ली जाती है, जैसे ही वहा से किसी कंपनी से गानों की एल्बम रिलीज़ होकर आरा आती है तो पुलिस दिल्ली से अनारकली को पकड़ लाती है, अनारकली आती जरूर है मगर पूरी तय्यारी के साथ और ये देशी तंदूर \जिस्म की हवेली climax में गर्दा झाडने वाली महिला के रूप में स्थापित हो जाती है | मोहित शर्मा ने म्यूजिक में कमाल का treatment किया है, सभी सिंगर्स फिल्म के साथ तालमेल में खरे उतरे है...
जैसा की
फिल्म का गीत “ई दरोगा दुनलिया में जंग लागा हो” कहता है जाइये और फिल्म देखिये| अनार कली का किरदार लगभग चेतन भगत के लेटेस्ट नावेल वन इंडियन गर्ल के मुख्य किरदार से मिलता जुलता है | “हम कोई दूध के धुले नही है” जब ये बात अनारकली बोलती है तो इसके बहुत मायने बनते है जो फिल्म देखने से समझ में आता है की सम्बन्ध बनाने में ये इरोटिक सिंगर पीछे नही है लेकिन किसी के बाप का मॉल भी नही है, अनारकली जबरजस्ती के छेड़ खानी के खिलाफ है और सिस्टम से सीना तान के लड़ने की हिम्मत रखती है| जब देह व्यापार के मामले में अनारकली को फंसाया जाता है और गली मोहल्ले में बाते बनने लगती है, दबंग लोगो से जान का खतरा देखते हुए दिल्ली जाती है, जैसे ही वहा से किसी कंपनी से गानों की एल्बम रिलीज़ होकर आरा आती है तो पुलिस दिल्ली से अनारकली को पकड़ लाती है, अनारकली आती जरूर है मगर पूरी तय्यारी के साथ और ये देशी तंदूर \जिस्म की हवेली climax में गर्दा झाडने वाली महिला के रूप में स्थापित हो जाती है | मोहित शर्मा ने म्यूजिक में कमाल का treatment किया है, सभी सिंगर्स फिल्म के साथ तालमेल में खरे उतरे है...
No comments:
Post a Comment