A LETTER TO INDIANS FROM RIVER GANGA
To the sons, saints, priest’s sons of India, this is my humble request to each and every citizen of India. I want to tell all of you that because of you, my integrity and self-respect is in danger. All of you in different manner have exploited me and destroyed my individuality. On one hand, all Indians call me Ganga Mata, while on the other hand I flow into the dirty seepages. On any festive occasion such as Dusshera, Shivratri and many others, you celebrate on my banks. For your kind information all waste discarded by you enters into my pure waters.
Oh! Indians! My eyes are filled with tears when the whole world calls me the ‘most polluted river’. The fishes that swim in my water are endangered. Many aquatic plants and organisms are in danger because of the pollution caused by you. You have referred to me as ‘Mother Ganga’ considered my water as pious but in this modern race of life, you are polluting me to an extent that I feel I have been raped by my children. As a mother, I tolerate every action of yours without any protest. From many years, I have provided water to irrigate your crops, purified your households; but, you have attacked me several times with fierce weapons that I am choking for breath now.
So many governments have come and gone, municipalities have made the public aware about my plight. NGOs have also tried their best efforts. Many social activists, politicians and concerned people have stood against my pollution. Crores of money has been spent on my beautification. But unfortunately! What is the outcome? I regret my children who call me ‘Ma’, have impure blood running through their veins and are corrupt. Shame on you Indians, who call me ‘Ma’ and exploit me. If all of you join hands and still cannot secure a pure natural gift then shame on the 121 crores of Indians.
And remember, even if a single person does not understand his role, does not try to keep me pure, then one day even I will be considered a sewer like my sister, Yamuna and will become a historical item.
How can you forget today that you are the descendants of saints and priests or how can you forget about the deeds of your ancestors?
How can you forget the vast resources of India that has filled the whole world with love, culture, traditions and educations.
You must never forget, sons of India, because of your sanctity Gods have emerged out of the rocks. Your dedication has given rise to the sculptures of Gods from plants. Your immense faith gave rise to the birth of goddesses. Your bravery and courage has given you strength to scale unbelievable heights such as the moon, stars and even Mars. The whole world, for the last many year has sung your verses. Just one more time take a deep breath, empower your determination and save your mother’s pride. It is a humble request to all my children, please save my sanctity and self esteem. Save my integrity you Indians, I request you with folded hands, do not allow me to degrade further, I want to live too , gift me my life, please!
Hindi
हे भारत के पुत्रो, ,हे ऋषियों, मुनियों कि संतानों, मै आज भारत में बसने वाले प्रत्येक व्यक्ति से एक निवेदन करना चाहती हू | मै बताना चाहती हूँ कि सिर्फ तुम सब के कारण आज मेरा अस्तित्व खतरे में पड गया है | तुम सबने अलग – 2 तरीको से जो प्रदूषण रूपी प्रहार मुझमे किये है उससे मेरा सीना तार – तार हो गया है | एक तरफ तुम सभी भारतीय मुझे गंगा माता कहते हो और दूसरी और मुझमे गंदे नाले डालते हो, किसी भी पर्व पर “चाहे वो कुम्भ हो दशहरा, शिवरात्रि हो या दुसरे त्यौहार जो तुम मेरे तट पर मनाते हो, तुम्हारे जाने के जो कूड़ा – करकट, गंदगी तुम छोड़ जाते हो सब कुछ मुझमे ही मिल जाता है
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हे भारतवाशियों मेरी मेरी आँखे आसूओं से भर जाती है जब पूरा विश्व मुझे दुनिया की सर्वाधिक प्रदूषित, गन्दी नदी कहकर बुलाता है | मेरे जल में रहने वाली लगभग सैकड़ो प्रकार मछलियों कि प्रजातियों को तुमने खतरे में डाल दिया | हजारो प्रकार के जलीय पोधो व जीवो का जीवन आज खतरे में पड़ गया है तुम्हारे इस प्रदुषण के कारण लगभग सैकड़ो प्रकार के उभयचर प्राणियों कि प्रजाती आज मृत्यु कि कगार पर है | शदियों से ही तुम सब ने मुझे माँ कहा है, मेरे पानी को गंगाजल कहा है मगर आधुनिकता कि इस दोड़ में तुमने जो प्रदुषण रूपी प्रहार मुझ पर किये है, उससे ऐसा महसूस होता है कि मेरी ही सन्ताने मेरा बालात्कार कर रही हो | मै तो फिर माँ हू न, सब कुछ सह लेती हू, शदियों से ही मैंने तुम्हारी फश्लो को मैंने रोपा है, तुम्हारे घर-आँगन को पवित्र बनाया है, मगर तुम सभी ने मेरे सीने पर ये कैसे खंजर चलाये कि मुझे आज साँस तक नही आ रहा, मेरा दम घुटता है आज |
कितनी ही सरकारे आई और चली गयी, कितनी ही बार न्यायपालिका ने सबको चेताया मेरें दर्द के बारे में | कितने ही गैर सरकारी संगठनो ने प्रयास किये | ना जाने कितने ही समाज सेवक, राजनेता, चिन्तक मेरे शुद्धिकरण के लिए खड़े हुए |अरबो रूपये मेरे श्रृंगार पर बहाया गया | मगर अफसोस ! परिणाम क्या हुए सब आपके सामने है | मुझे अफसोस है आज ऐसी संतानों की माँ कहलाते हुए जिनकी रगों में दोड़ने वाला खून पापी, भ्रष्टाचारी और आडम्बरी का है | धिक्कार है फिर मुझे उन सभी भारत के सपूतो पर जो मुझे माता कहकर स्वांग करते है और मेरा ही चीर हरण करते है | अगर आप सभी मिलकर भी मेरे जैसे पवित्र, निर्मल, प्राकृतिक स्त्रोत की रक्षा नही कर पा रहे है, तो धिक्कार है तुम्हारा 121 करोड़ होना | और ध्यान रखना यदि आज प्रत्येक व्यक्ति ने अपनी भागीदारी नही समझी, मुझे स्वच्छ रखने का प्रयत्न नही किया तो वह दिन दूर नही कि मुझे भी मेरी बहन यमुना कि तरह shiver समझा जायेगा, और धीरे – धीरे मै मात्र एक इतिहास के पन्नो तक सिमित रह जाउंगी |
आज तुम कैसे भूल गये कि तुम ऋषि मुनियों की संताने हो, आज तुम कैसे भूल गये अपने पूर्वजो के पराक्रम को ?
आज तुम कैसे भूल गये भागीरथी के तप को, भीष्म कि कसम को,
आज तुम कैसे भूल गये भारत कि उपलब्धियों को जिसने हमेशा पूरे विश्व को प्रेम, संस्कार, संस्कृति कि शिक्षा दी है |
मत भूलो भारत के पुत्रों कि तुम्हारी भक्ति से पत्थरों से भगवान प्रकट हुए है | तुम्हारी श्रद्धा से पौधों से देवताओ की छवि प्रकट हुई है | वो तुम्हारा अटूट विश्वास ही था कि नदियों से माताएं और देवियों के दर्शन
हुए | अपने अदम्य साहस के कारण ही तुम चाँद, तारो और मंगल तक पहुचे हो, नये - नये कीर्तिमान तुमने
रचे | पूरा विश्व शदियों – शदियों तक तुम्हारी गाथाये गायेगा बस एक बार फिर अपनी सांसो में हुंकार भर
लो, अपने होंसलो में हिम्मत भर लो, और अपनी इस माँ की लुटती हुई इज्जत को बचा लो मेरे पुत्रो, मेरे
अस्तित्व को बचा लो मेरी संतानों
|
मेरे वजूद को बचा लो भारतवाशियों
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